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Haryana: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 70 हजार उम्मीदवारों को मिलेगा आरक्षण का लाभ

Haryana से एक बड़ी खबर सामने आई है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (HSSC) के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों को अस्वीकृत कर दिया गया था और जिन उम्मीदवारों ने अधिक अंक प्राप्त किए थे, उन्हें सामान्य श्रेणी में शामिल कर लिया गया था। हाईकोर्ट के इस फैसले से हजारों उम्मीदवारों को राहत मिलेगी।

हाईकोर्ट का फैसला

जस्टिस जगमोहन बंसल की बेंच ने कहा कि विवादित आदेशों को रद्द किया जाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इस फैसले का लाभ उन सभी उम्मीदवारों को मिलेगा जिन्हें पिछड़ी जाति से सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित किया गया था।

हाईकोर्ट ने इस मामले में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया:

  1. HSSC की जिम्मेदारी: कोर्ट ने कहा कि भर्ती विज्ञापन और नोटिफिकेशन के प्रावधानों के अनुसार, HSSC उम्मीदवारों के जाति, परिवार की आय और संपत्ति के दावे की जांच परिवार पहचान पत्र (Family Identity Card) के माध्यम से करने के लिए सक्षम था।

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  2. उम्मीदवारों को अनायास नुकसान: कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवारों को जो CET और दूसरे चरण की परीक्षा पास कर चुके थे, उन्हें लाभ से वंचित करना गलत था। यह तर्क कि उम्मीदवारों ने नवीनतम BC प्रमाणपत्र नहीं प्रस्तुत किया था, अस्वीकार्य था।

HSSC

हाईकोर्ट ने दिया उदाहरण

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि 17 अक्टूबर 2021 के नोटिफिकेशन और 22 मार्च 2022 की निर्देशों के अनुसार, BC प्रमाणपत्र में आय और संपत्ति संबंधित जानकारी होती है और यह 31 मार्च तक वैध होता है।

HSSC की गलती और वित्तीय वर्ष का अंतर

HSSC द्वारा 5 और 6 अक्टूबर 2022 को CET आयोजित किया गया था, जबकि उम्मीदवारों ने मई-जुलाई 2022 के दौरान अपने दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे। इसका असर यह हुआ कि CET का वित्तीय वर्ष 2021-22 था, जबकि फरवरी 2024 में जारी विज्ञापन के अनुसार यह 2022-23 था।

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तीन वित्तीय वर्षों का अंतर

आवेदन प्रक्रिया के दौरान तीन अलग-अलग वित्तीय वर्षों (2021-22, 2022-23, 2023-24) का अंतर था, जिससे मामले में भ्रम और गलतफहमी पैदा हुई।

70 हजार उम्मीदवारों को मिलेगा लाभ

हाईकोर्ट के इस निर्णय से करीब 70 हजार युवाओं को लाभ मिलेगा। पिछड़ी जाति के उम्मीदवार जिन्हें HSSC द्वारा आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया था, उन्हें फिर से आरक्षित श्रेणी में शामिल किया जाएगा। इससे उन्हें ग्रुप C और D की नौकरियों में लाभ मिलेगा।

HSSC ने अपनी गलती स्वीकार की

HSSC ने यह स्वीकार किया कि विवादित आदेश में BC प्रमाणपत्र की तिथि 1 अप्रैल 2023 से पहले थी। याचिकाकर्ताओं ने जो BC प्रमाणपत्र डाउनलोड किया था, वह सरल पोर्टल से था, जिसकी तिथि 23 मार्च 2023 और 10 मार्च 2024 थी।

सत्यापन प्रक्रिया

कानून 2021 के तहत, उम्मीदवार अपनी जानकारी आधिकारिक पोर्टल पर अपलोड करता है, जिसे सक्षम प्राधिकरण द्वारा सत्यापित किया जाता है। यह सत्यापित जानकारी ही BC प्रमाणपत्र के रूप में सरल पोर्टल से प्राप्त होती है। हाईकोर्ट ने इस प्रक्रिया को वैध ठहराया और कहा कि उम्मीदवारों ने इस प्रक्रिया का पालन किया।

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निर्णय का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

हाईकोर्ट के इस निर्णय से न केवल उम्मीदवारों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे सामाजिक न्याय की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जिन उम्मीदवारों को जातिगत आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था, अब उन्हें न्याय मिलेगा। यह फैसले से आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए सरकारी नौकरियों तक पहुंच को और आसान बनाएगा।

साथ ही, इस फैसले से राज्य सरकार और HSSC पर भी एक नया दबाव बन सकता है, ताकि भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।

भविष्य में क्या हो सकता है?

हाईकोर्ट का यह फैसला आने के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में इस प्रकार के मामलों में आयोगों और संबंधित अधिकारियों को अधिक सतर्कता बरतनी होगी। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी उम्मीदवारों को सही और समय पर लाभ मिले। इसके अलावा, भर्ती प्रक्रियाओं में अधिक पारदर्शिता और स्पष्टता जरूरी होगी, ताकि किसी भी प्रकार की अनावश्यक कानूनी कार्यवाही से बचा जा सके।

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